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________________ AnnAmAnmm 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + णेरइयखेत्तयणा भाणियव्या एवं जाव देववेत्तेयणा एवं कालेयणावि एवं भवेयणावि एवं जाव देवभावेयणावि ॥ ४ ॥ कइविहाणं भंते! चलणा पण्णत्ता ? गोयमा! तिविहा चलणा पण्णत्ता, तंजहा सरीरचलणा, इंदिय वलणा. जोगचलणा, ॥ ५ ॥ सरीरचलणाणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा ओरालिय सरीरचलणा जाव कम्मग सरीर चलणा ॥६॥ इंदियचलणाणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता तंजहा-सोइंदिय चलणा जाव फासिंदिय चलणा ॥ ७ ॥ जोगचलणाणं भंते ! कइबिहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा गौतम ! जैसे द्रव्य कंपना का कहा वैसे ही क्षेत्र कंपना का जानना, एमे ही काल भव व भाव कंपना का मानना. ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! चलेना के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम : चलना के तीन भेद कहे हैं. शरीर चलना २ इन्द्रिय चलना व ३ योग चलना. ॥५॥ अहो भगवन् ! शरीर चलना के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! शरीर चलना के पांच भेद कहे हैं. १ उदारिक शरीर चलना यावत् कार्माण शरीर चलना ॥ ॥ इन्द्रिय चलना के कितने भेद कहे हैं. ? अहो गौतम ! इन्द्रिय चलना के पांच भेद है. श्रोग्रेन्द्रिय चलना यावत् स्पशैद्रिय चलना, ॥७॥ अहो भगवन ! योग चलना के किसने भेद कह १ एजना का बाह्य प्रगट स्वभाव, प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालापसाजीद * भावार्थ AAAAAAAAAA
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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