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सूत्र
भावार्थ
48+ पंचमांगविवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
भंते ! एवं ? गोयमा ! जंणं ते अष्ण उत्श्यिा एवं माइक्खति जात्र वत्तव्यंसिया जे ते एवं माहंसु मिच्छते एवमाहंसु, अहं पुण गायमा ! जात्र परूमि एवं खलु समणा पांडेया, समगोत्रामा बालांडिया, जस्सगं एगनाणेवि दंडे णिक्खित्ते सेणं णो एगंतबालेत्ति वत्तव्या ॥ ४ ॥ जीवाणं भंते! वाला पंडिया बालपडिया ? गोयमा ! जीवा बालावि पंडियावि बालपंडियावि, णेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! रइया बाला. णो पांडेया जो चालपांडेया ॥ एवं चउरिंदेषाणं, पंचिंदियातिरिक्ख पुच्छा, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया बाला, जो पंडिया, बालपंडियावि
तरह है ? अहो गौतम ! अन्य तीर्थिक जो ऐना कहते हैं यावत् प्ररूपते हैं कि भ्रमण पंडित, श्रमणोपासक बाल पंडित व एक भी जीव की धान का जिस परिवार नहीं किया वह एकांत बाल है वह मिथ्या है करता हूं कि श्राग पंडित, श्रणो पासक बालपंडित, और जिसने किया है वह एकांत बाल नहीं ॥ ४ ॥ अहो भगवन् : क्या जीव जीन बाल, पंडित व वाल पंडित हैं. नारकी की पृच्छा ! नारकी ऐसे ही चतुरेन्द्रिय पर्यंत कहना. तिर्यच पंचेन्द्रिय की
पृच्छा
इन कथन को ऐसा कहता हूं याद ( एक प्राणिकी भी घात का भी परिहार बाल, पंडित व बालांडित हैं? अहां गौतम बाल हैं परंतु पंडित व बाल पंडित नहीं हैं.
सतरा शतक का दूसरा उद्देशा
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