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________________ 48 अनुवादक बालब्रह्मचारी माने श्री अमोलक ऋषिजी got पंचहिं पुटुा जहा कंदए । एवं जाव बाय ॥ ११ ॥ कइणं भंते ! सरीरया पण्णत्ता? गोयम! ! पंच र रीरया पण्णत्ता, तंजहा-ओरालियं जाव कम्मर ॥ १२ ॥ कइणं भंते ! इंदिया पण्णत्ता : गोषमा ! पंवइंदिया पण्णा , तह-साइंदेय जाव फासिं. दियं ॥ १३ ॥ कइविहेण भते ! जाए पण्णत्ते ? गायमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, ' तंजहा-मणजोए चयजोर कायजोर ॥ १४ ॥ जीवणं भंते ! ओरालियसरीरेणं णिन्वत्तिएमाणे कइकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय च उकिरिए, सिय पंच किरिए, एवं पुढवीकाइएवि, एवं जाव मणुरुते ॥ १५ ॥ जीवाणं भंते ! ओरालिय जानना. ॥ ११ ॥ ओ भगान् ! शगेर फिनो को हैं ! अहः गौतम ! शरीर पांव कहे हैं. जिन के नाम उतारिक शरीर क्रेय शगर. आहारक शगेर. नेन र शरीर व कार्याग करोर ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! इन्द्रियों कितनी कही हैं ? अरे माना ! इन्द्रांच को है. श्रय याचा स्पर्शेन्द्रिय ॥ १३ ॥ अहो भाप ! यांग किन कहे हैं ? अहोगा ! गते । कडे मन योग २ चा योग व ३१ काया योग ॥ १४ ॥ अहो भावन् ! उदारिक शरीर बनाने हो जीवों को कितनी क्रियाओं लगे ? अहोस गौतम ! काचित् चार व क्वचित् पांच क्रियाओं लगे. ऐसे ही पृथयोकाया का यारत् मनुष्य तक कहना .प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी. भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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