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498 पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र
कालमासे कालंकिच्चा, कहिं गच्छिहिति, कहिं उववाजिहिति ? गोयमा ! इमीसे है | रयणप्पभाए पुढवीए उकोसं सागरोवम ट्रितीयंसि, णिरयावाससि गेरइयत्ताए उववजिहिति ॥ २ ॥ सेणं भंते ! तओहितो अणंतरं उव्वासिता कहिं गच्छिहिति ? २२५५ गोयमा ! महाविदेहे वासे सिझिहिइ जाव 'अंत कहिंति ॥ ३ ॥ भूयाणंदणं भंते ! हत्थिराया कओ हिंतो अणंतरं उव्वहिता, भूयाणंदे एवं जहेव उदायी जाव अंत काहिति ॥ ४ ॥ पुरिसेणं भंते ! तलमारूहइ, तलमारूहइत्ता तलाओ तलफल
पलावेमाणेवा पवाडेमाणेवा कइकिरिए ? गोयमा ! जाव चणं से पुरिसे तलमारूभइ, यह उदायी हस्ती राजा यहां से काल कर के कहां उत्पन्न होगा ? अहो गौतम ! इस रत्न प्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट एक मागरापम की स्थिति वाले नरका वास में नारकी पने उत्पन्न होगा. ॥ २॥ अहो भगवन् ! वह यहां से नीकलकर कहां जायगा कहां उत्पन्न होगा? अहो गौतम : महाविदेह क्षेत्र में सीझेगा, बूझे यावत् अंत करेगा. ॥ ३ ॥ अद्दो भगन् ! कृणिक का भूतानेन्द्र हस्ती राजा कहां से अंतर रहित नीकलकर भूतानेन्द्र हस्ति राजा पने उत्पन्न हुवा? अहो गौतम : जैसे उदायी हस्ती का कहा वैसे ही इसका भी कहना यावतू अंत करेगा ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! कोई पुरुष ताल वृक्षपर चढ़े और वह ताल वृक्ष के ।
सतरहवा शतक का पहिला उद्देशा 4.88
भावार्थ