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> पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भमवती ) सूत्र 438+
एवं दिसाकुमारावि ।। सेवं भंते भंतेत्ति ॥ सोलसमस्सा तेरसमो उद्देसः।। १६॥ १३ ॥ है एवं थणियकुमारावि ॥ सेवं भंते भंतेत्ति । सोलसमस्स चउद्दसमो उदेसो सम्मत्तो
॥ १६ ॥ १४ ॥ सम्मनं सोल समं सयं ॥ १६ ॥ जैसे द्विपकुमार का कहा वैसे ही दिशा कुार का कहा अहो भगान् ! आप के वचन सत्य है. यह सोलहवा शतक का तेरहवा उद्देशा पूर्ण हुवा ॥ १६ ॥ १३ ॥
जैसे द्विपकुमार का कहा वैो ही स्थगित कुमार का जालना. यह मेल हवा .तक का चउददया उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ १६ ॥ १४ ।। यह संलहरा शतक समाप्त हुवा ॥ ६॥
498 सोलहवा शतक का तेरवा व चौदवा उद्देशा438
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