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सूत्र
भावार्थ
4 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
कूडगरस पासायच डिसगरसवि तचेत्र पमाणं सीहारुणं सपरिवारं वलिरस परिवारणं अट्ठो तहे ॥ वरं रुय दिप्पभाई से तंचत्र जाव बलिचंचा रायहाणीए अष्णसिंच जात्र णिचे | रुगिंदरसणं उप्पायपव्ययस्स उत्तरेणं छकोडिसए तहेब जाब चत्तालीसं जोअणसहरसाईं उग्गाहित्ता एत्थणं बलिरस इरोमणिंदरस वइरोयणरप्णरस बलिचंचा मं राहाणी पण्णत्ता एगं जोयणसय सहस्सं पमाणं तत्र जाव बलिपेटिस्स उवाओ आरक्खा सव्वं तहेव णिरवसेसं, णवरं साईरंगं सागरोत्रमाट्ठई पण्णत्ता, सेसं
(जानना. प्रासादावतंसक की मध्य में सिंमन सब परिवार युक्त कहना. विशेष इतना कि चमरेन्द्र को १६४००० सामानिक देव के आसन हैं और इन से चौगुले आत्मरक्षक देव के आसन हैं, वैसे ही यहां बलीन्द्र के ६०००० सामानिक देव के आसन हैं और इस से चौकुने आत्म रक्षक देव के आसन तिमिच्छ के स्थान रुचकेन्द्र कहना. यहां बलराजा की राज्यवादी यावत् नित्य है यहां तक कहना. रुचकेन्द्र उत्पात पर्वत के उत्तर की तरफ छोकांड यात्रत् जैसे चमरचंचा राज्यधानी का व्यतिकर कहा वैसे ही यहां जानना यावत् चालिस हजार योजन अवगाह यहां बली वैरो बनेन्द्र वैराचन {चंचा राज्यधानी कही. वह एक लाख योजन प्रमाण वैसे ही यावत् बालेपिडका
राजा की बलि वर्णन यहां तक
१०२* सोलहवा शतक का नववा उदशा १०
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