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48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
रिलं जाव गच्छइ,रत्तरिय ओ दाहिणिल्लं जाव गच्छइ,उवरिल्लाओ चरिमंताओ हेट्ठिलं.. चरिमति एग समएणं जाव गच्छइ, हेट्ठिल्लाओ चरिमंताओ उवरिल्लं चरिमंतं एग समएणं गच्छइ ? हंता गोयमा ! परमाणुपोग्गलेणं लोगस्स पुरच्छिमिलं तंचेव जाव उवरिल्लं चरिमंतं गच्छइ ॥ ७ ॥ पुरिसेणं भंते ! वासं वासतीति वासं. णो. वासति हत्थंवा पायंवा बाहुंवा ऊरंबा आऊंटावेमाणेवा पसारमाणेवा कइकिरिए ? गोयमा ! जावचणं से पुरिसे वासं वासइ वासं णो वासतीति हत्थंवा जाव ऊरुंवा
आउंटावितिबा पसारेत्तवा तावंचणं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं. पुढे. चरिमांत से नीचे के चरिमांत में व नीचे के चरिमांत मे उपर के चरिमांत में क्या एक समय में जाता है ? हां गौतम ! परमाणु पुद्गल लोक के पूर्व के चरिमांत से पश्चिम के चरिमांत व पश्चिम के चरिमांत से । चरिमांत यावत् उपर के चरिमांत से नीचे के चरिमांत व नीचे के चरिमांत से उपर के चरिमांत तक जाता है ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! कोई पुरुष वर्षा वर्षती है या नहीं ऐसा जानने के लिये अपने हाथ, पांव
, जंघा को संकचित करे अथवा प्रसारे तो उस को कितनी क्रियाओं लगे ? अहो गौतम! जब लग वह पुरुष वर्षा वर्षती है ऐसा जानने के लिये हस्त, पांव, बाहा व जंघा का संकुचन प्रसारण. करे
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी*
भावाथे
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