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शब्दाथे
सूत्र
पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्त ( भगवती ) सूत्र
श्रमण भ. भगवंत म. महावीर ने छ. छद्मस्थ का. काल में अं अंतिम रात्रि में इ० ये द० दशम.. महा स्वप्न पा० देखकर प० जाग्रत हुए तं तद्यथा ए. एक म. महा घो घोर रूप दि. दिप्ति धार करने वाला ता० ताल पिशाच को सु० स्वप्न में १० पराजित पा० देखकर प. जायत हुए ए. एक म0 बडा सु० शुक्ल १० पांखवाला पुं० पुस्कोकिल ए० एक म. बडा चिः चित्र विचित्र प० पांखो वाला पुं० पुस्कोकिल सु० स्वप्न में पा० देख कर प० जाग्रत हुवे ए० एक मं० वडी दा० मालाका युगल स०
मराइयांस इमे दस महासुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, तंजहा-एगं चणं महं घोररूवं दित्तधरतालप्पिसायं सुविणे पराजियं पासित्ताणं पडिबुडे, एगं च णं महं सुक्किल पक्खगं । पुंसकोइलं मृविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महं चित्तविचित्त पक्खगं पुंसकोइलगं
सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ताणं हुए स्वप्नों का कथन करते हैं. श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी छद्मस्थ अवस्था की अंतिम रात्रि में दश स्वप्नों देखकर जागृत हुवे १ एक बडा घाररूपवाला दीप्त तालपिशाच को स्वप्न में पराजित करके जागृत हुए. २ एक बडा शुक्ल पांखोंवाला पुंस्कोकिल को स्वप्न में देखकर जागृत हुवे ३ एक बडा चित्र विचित्र पांखोवाला पुस्कोकिल को स्वप्न में देखकर जागृत हुवे ४ एक बडी रत्नों का माला युगल को स्वप्न में देखकर जागृत हुए ५ एक बडा श्वेत गायों का वर्ग स्वप्न में देखकर जगृत हुए ६ मुगंधित
• सोलहवा शतक का छट्ठा उद्दशा 80
भावार्थ