________________
सब्दार्थ
ॐ
महा स्वम पा. देखकर ५० जागा होनी है तं. तयाग गत उ. ऋषभ मी. सिंह जा. यावत् । मिक शिया ॥१॥ व. वक्री की माता मं. भगान् व. वागः गर्भ में आते क. कितने म. महः मादब कर प. जग्राहनी, गो. गोता. चक्र की मा० माता च. चक्र ना. यावत् ए. इन ती नीस म. मह सत्र ए. ऐसे ति तीर्थकरकी माना जा. याात् पि. शिखाई। ॥१०॥वा. वासुदेव पाना जा० यारन १० उत्पन्न होते ए. इस.च० चउदह म. महा सन में से
२१२१२३
+ पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
चउद्दस महासविगे पासित्तागं पडियुझंति, तंजहा गय, उसम, सीह जाब सिहिच
॥ ९॥ चमवाहिमायरोणं भंत ! चक्क रहिसि गम्भं वक्कनमाणसि कदमहासुविणे , पासित्ताण पडिबुझंति ? गोयमा ! चकाटिमायरो चमवाति जाव वक्कममाणसि
एएलि तीलाए महासुविणाणं एवं तित्थगर मायरो जाव सिहिच ॥ १० ॥ वासुदेव
मायरो जाव वक्कममाणंसि एएसि चउइसण्हं महामुधिगाणं अण्गयरे सत्त महासुविणे भवन •३ रत्नराशि और १४ अप्रेशखा ॥ १॥ अहो भगवन् ! चक्राी गर्भ में आते चक्री की माता किन । सम देखती है ? अहो गौतम ! उक्त चोदह सम देखती है परंतु चक्राती की माता कुच्छ मंद सप्ष दखती है ॥ १० ॥ वासुदा की माता बानुब गर्भ में आते उक चदह महा स्वप्न में ।
सालावा शतक का छठा उद्दशा 448
भावार्थ
1