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शब्दार्थ
ब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी
महा सण गो० गौतम तीनस म० मा स्वप्न ॥ ७ ॥ क० किनो भ० भगवन स० सब सु. स्वम ॥ ८॥ ति तीर्थकर की माता भं• भगवन् ति नीर्थ कर ग. गर्भ में व. उत्पन्न ए० इन में से क० कितन म० महा स्त्रम पा० देव कर ५० जाग्रा. होनी हैं गा० गोतन ति० तर्थिकर की माता मा० तितीर्थंकर ग० गर्भ में क. अन ए. इस ती. नीम म० महा सम्म में मे इ. ये च० चउदह म०
गायमा ! तीसं महासुविगा पण्णत्ता ॥ ७ ॥ कइणं भंते! सन्नसुविणा पण्णत्ता ? गोयमा ! बावत्तरि सव्वसुषिणा पण्णत्ता ॥ ८ ॥ तित्थगरमायरोणं भंते ! तित्थगरंसि । गम्भं वक्कममाणसि कइ महासुविणे पासित्ताणं पडिबुझंति ? गोयमा ! तित्थ..
गरमायरोणं तित्थगति गम्भं वक.माणमि एएमि तीसाए महासुविणाणं इमें । u ॥ अहो भगान् ! कितने महास्वत करे हैं ? ओ गौतम ? तीस महास न कहे हैं ॥ ७॥ अहो भगवन् ! सब किनन स्वण कहे ? अहो गोनप ! मब बात्तर स्वप्प कह हैं ॥ ८॥ अहो भगवन ! जब नीर्थकर अपनी माता के गर्भ में आते हैं, ता उस की माना इस सत्र में से कितने साप देखकर जाग्रत होनी हैं ? अहा गौतम ! जानी र अपती माता के गर्भ में आते हैं ना उनके माता तीस महा स्वप्न में से चउपह स्वप देखकर जाग्रत होती हैं. जिन के नाम. १ गज २ ऋषभ ३ सिंह, १४ लक्ष्मी ५ पुष्पमाला ६ चंद्र ७ सूर्य ८ धजा ९ कुंभ १० पद्यतरांवर ११ सागर १२ विमान या.
प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी -
भावाथ