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शब्दार्थ दे. देव को एक ऐसा व०कहा १०परिणयते हुवे पो० पुद्गल जो नहीं प.परिणत अ०अपरिणतप० परिणमते है ।
१० हैं ति० ऐसा पो० पुद्गल णो० नहीं ५० परिणत अ० अपरिणत त० तब से. उस मा० मायी स..
सम्यग्दृष्टि उ० उत्पन्नक दे० देवने तं० उस मा मायी मि० मिथ्यादृष्टि उत्पन्नक देव को ए. ऐसा व० कहा ५० परिणमते हुये पो० पुद्गलः ५० परिणत णो० नहीं अ० अपरिणत ५० परिणमते हैं ति ऐसा
मायीमिच्छद्दिट्टीउबवण्णए देवे तं अमायीसम्मदिट्रीउववण्णयं देवं एवं वयासी परिणममाणा पोग्गला जो परिणया, अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला णो परिणया अपरिणया ॥ तएणं से अमायीसमाहिट्ठीउववण्णए देवे तं मायीमिच्छट्ठिीउववण्णगं
देवं एवं वयासी परिणममाणापोग्गला परिणया णो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला दूसरा अमायी सम्यग्दृष्टि है. जो मायी मिथ्यादृष्टि देव है उसने अमायी सम्यग्दृशिवाले. देव को ऐसा कहा कि परिणमते हुए पुद्गलों परिणत नहीं है क्यों कि अतीतकाल व वर्तमान काल का विरोध है..
और जो पुगल परिणमते हैं वे पुद्गल परिणत नहीं है परंतु अपरिणत है. तब अमायीसम्यग्दृष्टि में Fउत्पन्नदेवने ऐसा कहा कि परिणमते हुवे पुद्गल परिणत हैं परंतु अपरिणत नहीं हैं और जो पद
परिणमते हैं वे परिणत हैं परंतु अपरिणत नहीं हैं. यदि परिणाम से परिणत पना न होवे तो सदैव
488 पंचमाङ्ग विवाह पण्णात : ( भगवती ) सूत्र tagr
सोलहवा शतक कापांचवा उद्दशा 488