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शब्दार्थ
अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री
पु० पुछकर सं० संभ्रांत वं० वंदना कर ण नमस्कार कर जा. यावत् प० पीछा गया गो० गौतमादि: स. श्रमण भ० भगवंत म. महावीर भ० भगवान गो० गौतम को ए. ऐमा व. बोले ए. ऐसे गो गौतम ते. उस काल ते. उस समय में म० महा शुक्र क० देवलोक में म० महा सामानिक वि० विमान में दो दो दे० देव म० महद्धिक जा० यावत् म० महा सुखवाले ए० एक वि० विमान में दे० देवतापने उ०११ उत्पन्न हवे तं० तद्यथा मा० मायी मि० मिथ्यादृष्टि उ० उत्पन्नक अ० अमायी स० सम्यक्दृष्टि उ०१ उत्पन्नक त० तब से वह मा० मायी मि० मिथ्यादृष्टि उ० उत्पन्नक दे० देवने मा० मायी समदृष्टि उत्पन्न
देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छइ, पुच्छइत्ता संभंतियं वंदइ, वंदइत्ता जाय पडिगए. गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्के कप्पे महासामाणियविमाणे दो देवा महिदिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववण्णा,
तंजहा मायीमिच्छद्दिउिववण्णएय, अमायीसम्माट्टीउववण्णएय ॥ तएणं से पर्युपासना करते हैं परंतु आज किस कारन से शक्र देवेन्द्र देवराजा आपको संक्षेप में आठ प्रश्नों पुछकर संभ्रांत चित्त से वंदना नमस्कार कर पीछे चले गये ? श्री श्रमण भगवंत महाबीर स्वामीने कहा कि अहो गौतम ! उस काल उस समय में सातवा महाशुक्र देवलोक में महा सामानिक विमान में महर्दिक यावत् महासुखवाले दो देव एक ही विमान में देवतापने उत्पन्न हुए. जिन में एक मायी मिथ्यादृष्टि और
प्रकाशक-राजाबहादर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*
भावार्थ