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________________ TO शब्दार्थक प्रश्न वा. व्याकरण पु० पुछकर सं• संभ्रांत वं. वंदन से वं० वंदना कर ना० उती दि० दीव्य जा० . यान विधानपदु० आरूढ होकर जा. जिस दिशी से पा. प्रगट हुवा ता. उसी दिशि में १० पी गया ॥२॥ भं० भगवन् भ० भगवान गो गौतमने स० श्रमण भ० भगवंत ५० पहावीर को वं. वंदना कर ण. नमस्कार कर ए. ऐमा ब. बोले अ० अन्यदा भगवन् सशक दे० देवेन्द्र दे. देवराजा आपको 40 वंदना करता है ण. नमस्कार करता है .जा. यावत् प० पर्युपासना करना है कि क्या • भगवन् स. शक्र दे० देवेन्द्र दे. देवराजा द० देवानुप्रिय को अ. आठ सं० मंक्षिप्त प. प्रश्नोत्तर याएत्तएव। ८, जाव हंता पभू इमाइं अट्ट उक्खित्त पसिणवागरणाइं पुच्छइ सं भतिय वंदणएणं वंदेइ वंदेइत्ता तमेव दिव्वं जाण विमाणं दुरूहइ दुरूहइत्ता जामेव दिसिं पाउन्भए तामेव दिसिं पडिगए ॥ २ ॥ भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी अण्णदाणं भंते ! सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ ॥ किण्णं भंते ! सक्के देविंदे भावार्थ करने का. क्रय करने का और परिचारणा करने का यों आठ आलापक कहना. ऐ वाले प्रश्नों पुछकर संभ्रांत बंदना नमस्कार कर उस ही यान विमान में बैठकर जिस दिशा से आया था * है वहां पीछा गया ॥०॥ उस समय भगवंत गौतम श्रमण भगवंत महावीर स्वामी को वंदना नमस्कार कर ऐसा चोला कि अहो भगवन् ! जब शक देवेन्द्र देवराजा आते हैं. सब आपको वंदना नमस्कार यावत् 488 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र Page > मोलहवा शतक का पांचवा उद्देशा 4.88
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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