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________________ शब्दाथेम. महावीर अ० अन्यदा क. कदापि ग. राजगृह ण नगर के गु० गुणशील चे. उद्यान से प.. Pole नीकलकर ब० बाहिर ज० जनपद वि. विहार वि० विचरने लगे ॥ ३॥ ते. उस का. काल ते. उस स. समय में उ० उल्लकातीर ण. नगर हो० था तः उस उ० उल्लकातीर ण नगर की ब० वाहिर उ०.० ईशान कौन में ए. यहां ए. एक जम्बू चे उद्यान ॥ ४ ॥ अ० अनगार भा० भावितात्मा छ० छठ के भगवं महारीरे अण्णयाकयायि रायगिहाओ णयराओ गुणसिलाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमइत्ता बहिया जणवपरिहारं विहरइ ॥ ३ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयातीरे णामं णयरे होत्था,वण्णओ ॥ तस्सणं उल्लुयातीरस णयरस्स वहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थणं एगजंबुए णामं चेइए होत्था, वण्णओ ॥४॥ तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णयाकयायि पुव्वाणुपुर्दिवं चरमाणे जाव एगजबुए समोसढ जाव परिसा पडिगया ॥४॥ भंतेत्ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर तिम स्वामी विचरनेलगे. ॥ २ ॥ उस समय में श्री श्रमण भगवंत महावीर रानगृह नगरके गुण उद्यान में मे नीकलकर बाहिर विचरने लगे ॥३॥ उस काल उस समय में उल्लुया तोर नाम का नगर वह वर्णनयोग्य था. उस उल्लुका तीर नगर की बाहिर ईशान कौन में एकजंबुक नाम का उद्यान था 123 ॥॥ ४ ॥ उस समय में श्रमण भगवंत महावीर एकदा पूर्वानुपूर्षि चलते ग्रामानुग्राम विचरते यावत् । पंचांग विवाह पस्णत्ति (भगवती) म 48817 सोलहवा शतक का तीसरा उद्देशा 486
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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