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श्रमण भ.भगवंत ममहावीर को बं०वंदना करणःणमस्कार कर ए.ऐसा वयोला जैजो भाभगवन
शक्र दे. देवेन्द्र दे. देवसंजा तु. आप को एक ऐसा व. बोला स० सत्य ए. यह अ० अर्थ है. हां १० स० सत्य ए. यह अ० अर्थ ॥ ६ ॥ स० शक्र भं० भगवन् दे. देवेन्द्र दे. देवराजा किं. क्या स.
सम्यग्वादी मि. मिथ्यावादी गो० गौतम स. सम्यगवादी णो नहीं मि० मिथ्यावादी ॥ ७॥ स. शक्र भं० भगवन् दे० देवेन्द्र दे० देवराजा कि० क्या स० सत्य भा० भाषा भा० बोलते है मो० मृषा
भगवं महावीरं बंदइ णमंसइ वंदइत्ता णमंसइत्ता एवं बयासी-जणं भंते ! सक्के देविंदे देवराया तुब्भे एवं वदति सच्चेणं एसमटे ? हंता सच्चेणं ॥ ६ ॥ सक्केणं भंते ! देविंदे देवराया किं सम्मावादी मिच्छाबादी? गोयमा ! सम्मावादी णो मिच्छावादी॥७॥
सक्कोणं भंते ! देविदे देवराया कि सच्चं भासं भाप्तइ, मोसं भासं भासइ, सच्चा मोसं भावार्थ
दिशि में चले गये ॥ ५ ॥ भगवान् गौतम श्रमण भगवंत महावीर को वंदना नमस्कार कर ऐसा घोले कि अहो भगवन् ! शक्र देवेन्द्र देवराजाने आपको जो बात कही. वह क्या सत्य है ? हो गौतम ! वह है।
त्य है ॥६॥ अहो भगवन् ! शक्र देवेन्द्र क्या सम्यवादी है या मिथ्यावादी है ? अहो गौतम ! व सम्यवादी है परंतु मिथ्यावादी नहीं है ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! शक्र देवेन्द्र देवराजा क्या सत्य भाषा 1 बोलता है, मिथ्या भाषा बोलता है, सत्यमृषा भाषा बोलता है या असत्य मृषा भाषा बोलता है ? अहो
4284 पंचमांग विवाह पष्मत्ति ( भम्वती ) सूत्र
___tagrt- सोलहवा शतक का दूसरा उद्देशा 988