________________
शब्दार्थ
अम लक ऋषिजी +
भावार्थ
होगा से० वह त० वहां से अ० निरंतर च० चवकर मा० मनुष्य का वि० शरीर ल० प्राप्त करेगा के० { केवल बो० सम्यत्स्व प्राप्तिं बु०करेगा त० वहां भी अ० अविराधित साधुपनावाला का काल के अवसर में का० काल कर के स० सनत्कुमार में दे० देवतापने उ० उत्पन्न होगा से वह त वहां से ए० ऐसे ज०जैसे स० सनत्कुमार त० तैसे बं० ब्रह्मलोक म० महाशुक्र आ० आणत आ० आरण त० वहां से जा० यावत् अ० अविराधित का० काल के अवसर में का० काल कर के स० सर्वार्थ सिद्ध म० महाविमान में दे० देवतापने उ० उत्पन्न होगा से वह त०
वहां से अ० अंतर रहित च० चवकर देवत्ताए उववजिहिति, सेणं तओहिंतो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लाभहिति, केवलं बोहिं बुज्झिहिति, तत्थविणं अविराहिय सामण्णे कालमासे कालांकच्चा सर्णकुमारेणं कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति, सेणं तओहिंतो एवं जहा सणकुमारे तहा बंभलए महासुके आणए आरणे सेणं तओ जाव अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सव्वसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति ॥ सेणं तओहिंतो अनंतरं शरीर प्राप्त करेगा. वहां अविराधित साधुपनावाला बनकर काल के अवसर में काल करके सौधर्म देवलोक में देवतापने उत्पन्न होगा. वहां से अंतर रहित चवकर मनुष्य का शरीर प्राप्त करेगा और सम्यक्त्व { की प्राप्ति करके काल के अवसर में काल करके सनत्कुमार देवलोक में देवतापने उत्पन्न होगा. ऐसे ही
६३ अनुवादकबालब्रह्मचारी
* प्रकाशक राजावहदुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
२१६६