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शब्दार्थ/4
लक्षवार प० उत्पन्न होगा. उ. प्रायः ख. खर वा वादर पु. पृथ्वी में समर्वत्र स. शस्त्र से हणाया। 4हवा जा. यावत् कि करके दो० दुसरी वक्त ग० राजगृह ण नगर की बा० बाहिर ख. वेश्यापने उ०१TI १७ उत्पन्न होगा त० वहांपर स० शस्त्र में व० हणाया हुवा जा० यावत् कि० करके दो. दूसरी वक्त रा० राजगृह,ण नगर की अं० अंदर ख• वेश्यापने उ० उत्पन्न होगा त वहांपर स० शस्त्र से व०हणाया जा
खारोदएमु खातोदएसु सव्वत्थविणं सत्थवझे जाव किच्चा ॥ इमाइं पुढविकाइय विहाणाई भवंति, तंजहा पुढवीणं सक्कराणं जाव सूरिकताणं, तेसु अणेगसय जाव पच्चायाहिति ।उस्सणं चण खरवादर पुढविकाइएमुसव्वत्थाविणं सत्थवझे जाव किच्चारायगिहे णयरे बाहिं खरियत्ताए उववजिहिति; तत्थविणं सत्थवज्झे जाव किच्चा, दोच्चंपि राय
गिहे णयरे अंतो खरियत्ताए उववजिहिति; तत्थविणं सत्थवज्झे जाव किच्चा इहेव भावार्थ पूर्व का वायु यावत् शुद्ध वाय. इस में अनेक वक्त मरकर तेउकाया में उत्पन्न होगा जिन के नाम अंगार og
यावत् सूर्यकांतमणि निश्रित, वहां अनेक लक्षवार मरकर अप्काया में उत्पन्न होगा जिन के नाम ओस यावत् खारा पानी. वहां अनेक वक्त उत्पन्न होकर औस यावत् खारा पानी में सर्वत्र शस्त्र से वध कराया हुवा पृथ्वीकाया के भेद में उत्पन्न होगा जिन के नाम-कंकर यावत् सूर्यकान्तमणि यावत् बादर पृथ्वीकाया में सर्वत्र शस्त्र से हणाया हुवा राजगृह नगर की बाहिर वेश्यापने उत्पन्न होगा. वहां
488 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र 88
पनरहवा शतक ।