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करके छ. छठी त० तमा पु० पृथ्वी में उ. उत्कृष्ट काल वाली ठि० स्थिति ० नारकी में पे० नारकर 60 }पने उ० उत्पन्न होगा त बहां मे उ० नीकलकर इ. स्त्री में दो दुसरी वक्त छ० छठी १० तमा में उ014
उत्कृष्ट काल जा. यावत् उ० उद्वर्तकर दो. दूसरी वक्त इ० स्त्री में पं० पांचवी धू० धम्रप्रभा में उ०सर्प में उ० उत्पन्न होगा च० चौथी पं० पंकप्रभा सी० सिंह में त० तीसरी बा बालुप्रभा प०पक्षी में दो दूसरी
दोच्चंपि इत्थियास उववाजिहिति२. तत्थविणं सत्थवज्झे जाव किच्चा पंचमाए धमप्पभाए पदवीए उक्कोसकालट्रिइंसि जाव उव्यटित्ता उरएस उववजिहिति तत्थविण सत्थवज्झे दोच्चपि पंचमाए जाव उव्वत्तिा दोचंपि उरएसु उववजिहिति जाव किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए उक्कोस कालविइयंसि जाव उवाहित्ता, सीहेस, उपजिहिति तत्थविणं सत्थवज्झे तहेव कालं किच्चा दोच्चंपि चउत्थीए पंकप्पभाए जाव उव्वाहिता. दोच्चंपि सीहेसु उववजिहिति, जाव किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव
उवट्टित्ता, पक्खीसु उववजिहिति,तत्थविणं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि वालुय जाव उवभावाथ
शस्त्र से हणाइ हुइ यावत् पांचवी धूम्र प्रभा में उत्कृष्ट स्थिति से उत्पन्न होगा. वहां से नीकलकर उरग 4
(सर्प) में उत्पन्न होगा. पुनः वहां से काल करके पांचवी नरक में उत्पन्न होगा पांचवी नरक में मे blet नीकलकर सर्पपने उत्पन्न होगा. वहां से चौथी पंक प्रभा नरक में उत्कृष्ट स्थिति से उत्पन्न होगा. वहां से *अंतर रहित नीकलकर सिंहपने उत्पन होगा. वहां शस्त्र से इणाया हुवा पुन: चौथी पंक प्रभा में उत्कृष्ट
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
48488.पबरहवा शतक 48488
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