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पंचमान विवाह पण्णत्ति (भगवती) मुत्र
करेंगे ॥ १८७ ॥ वि. विमलवाहन भ० भगवन् रा. राजा स. समंगल अ० अन्गार से स० अश्वसहित जा. यावत् भा० भस्म कराया क कहां उ उत्पन्न होगा गोर गौतम वि० विमलवाहन रा० राजा सु00 सुमंगल अ० अनगार से स० अश्वसहित जा. यावत् भा० भस्म कराये अ० नीचे सा० सातवी पु०पृथ्वी में उ० उत्कृष्ट का. काल स्थिति में णे नारकीपने उ० उत्पन्न होगा से बह त० वहां से अ. निरंतर व अंतं काहिति ॥ १८७ ॥ विमलवाहणेणं भंते ! राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहयं है। जाव भासरासीकएसमाणे कहिं गच्छिहिति कहिं उवजिहिति ? गोयमा ! विमल
वाहणे राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहयं जाव भासरासीकए समाणे अहे सत्तमाए। पुढवीए उक्कोसं कालट्ठितियंति णरयंतिणेरइयत्ताए उववजिहिति ॥ सेणं तओ अणंतरं
उन्वट्टित्ता मच्छेसु उववजिहिति, तत्थविणं सत्थवझे दाबकंतीए कालमासे बुझेगा यावत् अंत करेगा ॥ १.८७ ॥ अहो भगवन् ! सुमंगल अनगार से भस्म कराया हुवा विमल बाहन । राजा कहां जावेगा कहां उत्पन्न होगा? अहो गौतम ! सुमंगल अनगार से भस्म कराया हवा विमल वाहन राजा सातवी पृथ्वी में उत्कृष्ट स्थिति से नारकीपने उत्पन्न होगा. वहां से अंतर रहित नीकलकर मत्स्य में उत्पन्न होगा. बहां शस्त्र से हणाया हुवा दाह उत्पन्न हुए काल के अवसर में काल करके दूसरी बार सातवी नरक में उत्कृष्ट काल की स्थिति तेत्तीस सागरोपम की] में उत्पन्न होना. वहां से वह नीकल-11
imanawaranamaAAmmam
38 पनरहवा शतक
भावार्थ
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