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शब्दार्थ
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* को० स० अश्वसहित जा. यावत् भा० भस्म का करेंगे ॥ १८५ ॥ सु. सुमंगल अ. अनगार भा०
भस्म क० कर के क• कहां ग. जावेगा क० कहां उ० उत्पन्न होगा. गो. गौतम सु० सुमंगल अ० अनगार वि०विमलवाहन रा. राजा को स. अश्वसहित जा. यावत् भा० भस्म क० करके ब० बहुत छ. छठ अ० अठम ददश दुबारह जा० पावत् वि०विचित्र ततपकर्म से अ०स्वतः को भा०भावते व बहुत वा० वर्ष सा साधु की प० पर्याय पा• पालेंगे मा. मास की सं० संलेखना से स. साठभक्त अ० अनशन जा० धावत् छे० छेदकर आ० आलोचित ५० प्रतिक्रमण वाला स० समाधि प्राप्त उ० अर्ब चं.
ससारहियं तवेणं तेएणं जाव भासरासिं करेहिति ॥ १८५॥ समंगलेणं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता कहिं गच्छिाहति कहिं उववाजिहिति? गोयमा! सुमंगलेणं अणगारेणं विमल वाहण रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता बहहिं छ8मदसमदुवालस जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे
घहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणिहिति, बहू २ तामासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई भावार्थ सात आठ पांच पीछा जाकर अश्व, रथ व सारथि सहित विमलवाहन राजा को भस्म करेगा ॥ १.८५ ॥
3अहो भगवन् ! विमलवाहन राजा को भस्म करके सुपंगल अनगार काल के अवसर में फाल करके *कहां उत्पन्न होंगे। महो गौतम ! विक्लबाहन राजा को भस्म किये पीछे बहुत छठ, मठम, दश, द्वादश
488 पंचमात्र विवाह पण्णात ( भगवती ) मूत्र +8+
पन्नरहवा शतक
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