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शब्दार्थ
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
विपल वाहनं रा. राजा सु० मुमंगल अ० अनगार से ए० ऐसा वु. कहाया हुवा आ. क्रोधित जाम वित् मि० देदीप्यमान मु० सुमंगल अ० अनगार को त• तीसरी वक्त र० रथशिर पे जो चलाया, ॥ १८४ ॥ त० तब से वह मु. सुमंगल अ. अनगार वि० विमल वाहन रा० राजा से त० तीसरी वृक्त, णो० चलाया आ० आसुरक्त जा. यावत् मि० देदीप्यमान आ. आतापना भूमि से प. उतरकर ते तेजन स० सयुद्धात से स• समुद्धानकर स• सात आठ पं० पीछा जाकर वि० विमलवाहन रा० राजा
राया सुमंगलेणं अणगारेणं एवं वुत्तेसमाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं तच्चपि रहसिरेणं णोल्लावहिति ॥ १८४ ॥ तएणं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा तच्चपि रहसिरेणं णोलाविएसमाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीओ पच्चोरुभइ, पच्चारुभइत्ता तेयासमुग्धाएणं समोहणहिति समोहण
हिलित्ता सत्तट्ठपयाई पच्चोसक्किहिति, पच्चोसक्किहितित्ता विमलबाहणं रायं सहयं सरहं गार से इस तरह कहाया हुवा विमलवाहन राजा आसुरक्त, यावत् क्रोधित होगा और समंगल अनगारपे तीसरी बार ग्थ फिरावेगा ।। १८४ ।। इस तरह विमलवाहन राजा जब तीसरी बार रथ फिरावेगा तब यह अनगार बहुत आसुरक्त यावत् क्रोधित होते हुवे आतापना भूमि में से नीकलकर तेजस समुद्धात करेगा,
.प्रकशिक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*
भावार्थ