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शब्दार्थ + वक्त भी र० रथ शिर से णो० चलाया हुवा स० शनैः उ० उठेगा उ उठकर ओ० अवधि प० प्रयुजेगा [वि० विमल वाहन र० राजा का ती० अतीत काल आ० जानेगा वि० विमल वाहन रा० राजा को ए० ऐसा व० बोलेगा णो० नहीं तु० तुम वि० विमलवाहन रा० राजा णो० नहीं तु० तुम दे० देवसेन राजा गो० नहीं तु० तुम म० महापद्म राजा तु० तुम इ० इस से त० तीसरे भ० भव में गो० गोशाला मं० मेखलीपुत्र हो ० था स० श्रमण घातक जा० यावत् छ० छद्मस्थ में का० काल किया ज० यदि ते ० तेरी त० उस समय स० सर्वानुभूति अ० अनगार प० समर्थ हो० होकर स० सम्यक् प्रकार से णोल्लात्रिए समाणे सणियं २ उट्ठेहिंति, उट्ठेहिंतित्ता ओहिं परंजेर्हिति ओहिं परंजे हिंतित्ता विमलवाहणस्स रणो तीयद्धा आभोएहिंति २ विमलवाहणं रामं एवं वदिहिति णी खलु तुमं विमलवाहणे राया, णो खलु तुमं देवसेणे राया, मे खलु तुमं महापउमेराया तुमं ण इओ तच्चे भवग्गगहणे गोसाले णामं मंखलिपुत्ते होत्था, समण घायए जाव छउमत्थे चैव कालगए तं जति ते तदा सव्वाणुभूइणा अणगारेणं ( शनैः २ उपस्थित होगा, अपना अवधिज्ञान प्रयुंजेगा विमलवाहन राजा का अतीत काल देखेगा और विमल वाहन राजा को ऐसा कहेगा कि तू विमलवाहन राजा नहीं है. तू देवसेन राजा नहीं है। वैसे ही तू महापद्म राजा नहीं है; परंतु इस से तीसरे भव में श्रमण की घात करनेवाला मंखली पुत्र गोशाला बा
सूत्र
भावार्थ
० अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी *
* प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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