SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 887 शब्दार्थ देदीप्यमान स. मुमंगल अ० अनगार के र० स्थ मि. मस्तकपे णो० चलावेगा ॥ १८० ॥ त० तब से है। वह मु० मुमंगल अ० अनगार वि० विमल वाहन र० राजा से णो० चलाया स• शनैः उ० उठकर दो ७दमरी वक्त उ. उर्ध्व बाहा प० रखकर जा० यावत् आ.आतापना लेते विविचरेगा ॥१८१ ॥ त. तब से वह वि० विमल वाहन रा० राजा सु० सुमंगल अ.अनगार को दो० दूसरी वक्त भी र० रथ सि० मस्तक से गो० चलावेगा ॥१.८२॥ त०तब से वह सुसुमंगल अ०अनगार वि०विमल वाहन र राजा से दो० दूसरी मिसेमाणे सुमंगलं अणगारं रहसिरेणं णोलावेहिति ॥ १८० ॥ तएणं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा रहसिरेणं णोलाविए समाणे : सणियं २. उद्धेहिंति उद्धेहिंतित्ता दोच्चंपि उठें बाहाओ पगिज्झिय २ जाव आयावेमाणे विहरिस्सइ॥१८॥ तएणं से विमलवाहणे राया सुमंगलं अणगारं दोच्चपि रहसिरेणं णोलावेहिति "॥ १८२ ॥ तएणं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा दोच्चंपि रहसिरेणं होगा और सुमंगल अनगार पर रथ फीरावेगा ॥ १८० ॥ विमलवाहन राजा से इस तरह रथ फीराने पर वह सुमंगल अनगार पुनः खडे होंगे और ऊर्च भूजारख कर आतापना लेते हुवे विचरेंगे ॥ १८१ ॥१॥ सफीर विमल वाहन सजा दुसरी वक्त भी रथ कीरावेगा ।। १८२ ॥ अमुमंगल अनगार-दुसरी व पंचमांगविवाहःपण्णत्ति (भगवती ) सूत्र 8. पनरहवा शतक 8 भावार्थ 898
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy