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________________ .... शब्दा * दे. देवसेन ॥ १६८ ॥ त० तब तक उस म० महापद्म २० राजाका दो० दूसरा गा० नाम भ होगा । दे देवसेन ॥ १६९ ॥ त० तब तक उस दे देवसेन को अ० अन्यदा से० श्वेत सं० शंखतल स० समान च० चारदांतवाला ह० हस्तीरत्न स० होगा ॥ १७० ॥ १० तब से वह दे० देवसेन रा० राजा , २१३१ सेवेत सं० शंखतल वि० विमल स० समान च० चारदांतवाला ह हस्तीरत्नपे दु० आरूहोता स० शतद्वार ण नगर की म० मध्य में अ० वारंवार अ० आगे णि नीकलेंगे ॥ १७१ ॥ त० तव स०300 दोश्चेवि णामधेजे देवसेणेति ॥१६८॥ तएणं तस्स महापउमस्स रण्णो दोच्छेवि णामधेजे भविस्सइ देवसेणेति॥१६९॥तएणं तस्स देवसेणस्स रण्णो अण्णयाकयाई सेते संखतलवि } मलसण्णिगासे चउइंतेहात्थिरयणे समुप्पजिस्सइ ॥१७०॥ लएणं से देवसेणे राया सेयं संखतलविमलसणिगासं चउइंतहत्थिरयणं दुरूढेसमाणे सतदुवारं णयरं मझंमज्झेणं अभिक्खणं २अभिजाहितिय णिजाहितिय॥१७॥तएणं सतदुवारेणयरे बहवे राईसर जाव भावार्थ दो देव सेना कर्म करते हैं तब अपना महापद्म राजा का दूसरा नाम देवसेन होबो ॥ १६८ ॥ उस से पन का दूसरा नाम देवसेन होगा ॥ १३१ ॥ अब एकदा उस महापद्य राजा को शंखतल समान श्वेत चार दांतवाला हस्ती रत्न प्राप्त होगा॥ १७० ॥ बह महापद्म राजा शंखतल समान श्वेत चार दांतवाला स्ति रस्न पर आरूढ होकर शतद्वार नगर की बीच में होकर वारंवार गमनागमन करेंगे ॥ १७१ ॥ तब पंचमांग विवाह पण्णत्ति-(भगवती ) सूत्र 488888 पन्नरहवा शतक 880888 a P op..
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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