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शब्दार्थ
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47 अनुवादन-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
कुंभ प्रमाण प• पन की वर्षा र रत्नों की वर्षा वा होगा ॥१६३॥ त० तब तक उस दा० पुत्र के . मातपिता ए० अग्यारहवा दि० दिन वी० घ्यतीत होते जा० यावत् सं० पास वा. वारहवा दि० दिन अ० यह ए. ऐसा गो० गौण गु० गुणनिष्पन्न णा० नाम का करेंगे ज० जिस से अ० हमारे इ० इसी
पुत्र के जा. जन्म होते स. शतद्वार ण. नगर में स० अभ्यंतर वा वाहिर जा. यावत् र० रत वर्षा हु. हुइ तं• इसलिये हो. होवे अ० हमारे इ० इस दा० पुत्र का णा० नाम म० महापमा ।। १६४ ॥
कुंभग्गप्तोय पउमवासेय रयणवासेय, वासिहिति ॥ १६३ ॥ तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्वते जाव संपत्ते वारसाहदिवसे अयमयारूवं गोणंगुणनिप्पणं णामधेनं काहिति जम्हाणं अम्हं इमांस दारगंसि जायंसिं समाणसि सतवारे णयरे सभितर बाहिरए जाव रयणवासेय वासे बुट्टे; तं. होऊणं अहं उस रात्रि में भारंगमाण कुभप्रमाण पद्म वृष्टि ब रत्न वृष्टि होगा ॥ १६३ ॥ अग्यारहवा दिन पूर्ण होकर बारहवा दिन बैठेगा तव उनके मात पिता ऐसा गुण निष्पन्न नाम रखेंगे कि जब हमारा पुत्र का जन्म हुवा तब शतद्वार नगर की आभ्यंतर व वाहिर भार प्रमाण व कुंश्प्रमाण पन व रत्नों की वृष्टि हुइ इस से
१बीस पल अथवा शत पल का भार. २ जघन्य सात आढक मध्यम अस्सी. आढक और उत्कृष्ट सो आदक। का एक कुंभ. .
अबकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदव सहायजी ज्वालाप्रसादजी
भावार्थ