________________
शब्दाउत्पन हुवा ९० ऐसे गो० गौतम म मेरा अं० अंतेवामी कु. कुशिष्य गो० गोशाला मं० मखलीपुत्र
स. साधु की घातकरनेवाला ना० यावत् छ, छमस्थ में का• काल कि० करके ऊ. उर्ध चं० चंद्र मू० सूर्य मा० यावत् अ० अच्युन कल्प में दे देवतापने उ० उत्पन्न हुवा त० उस में अ० कितनेक दे.
वा. बावीस सा० सागरोपम की ठि० स्थिति प० प्ररूपी त० उम में गो० गोशाला दे. देव बा. बावीस सा० सागरोपम की ठि० स्थिते ५० प्ररूपी ॥ १६॥ ॥ से अथ गा. गोशाला देव
गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले णाम मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्येचेव कालंकिंचा उर्दू चंदिम सूरिय जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे ॥ तत्थणं अत्थेगइयाणं देवाणं बावीस सगारोवमाई ठिई पण्णत्ता, तत्थणं गोसाल
स्सवि देवस्स बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, ॥ १६१ ॥ सेणं भंते ! गोसाले काल के अवमरमें काल कर कहां गया कहां उत्पन्न हुवा ? अहो गौतम ! मेरा अंतेवासी कुशिष्य श्रमण की
करनेवाला मेखली पुत्र गोशाला छद्मस्थपना में ही काल करके चंद्र सूर्य की ऊंचे यावत् अच्युत लोक में देवतापने उत्पन्न हुवा. वहां कितनेक देवों की बावीस सागरोपम की स्थिति कही. इस में । ला देव की बावीस सागरोपम की स्थिति कही ॥ १६॥ अहो भगवन् ! वह गोशाला देव आयुष्
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिमी +
namamalnnmmmmmmm
.प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*..
भावार्थ