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. आन फल ए.डालने को ए. एकान्त में सं० संकेत कु. किया त. तब से वह गो. गाशाला।
मेखली पत्र आ. आजीविक थे० स्थविर से सं० संकेत ५० इच्छकर अ० आम्र फल ए. एकान्त में ०ए० डालदिया ॥ १२७॥त. तब से वह अ० अयंपुल आ०. आजीविक उ० उपासक ज. जहां गो.
मोशाला म. मखली पुत्र ते. वहां उ. जाकर गो० गोशाला म० मंखलीपुत्र को ति तीन वार जा. यावत् प० पर्युपासना की ॥ १२८ ॥ अ० अयंपुल गो० गोशाला. मं० मखली पुत्र आ० आजीविक उ०% त्तस्स अंवकूणगएडावणट्टयाए एगंतमंते संगार कुव्वंति तएणं से गोसाले मंखलि. पुत्ते आजीवियाणं थेराणं संगारं पडिच्छइ, पडिच्छइत्ता अंबकूणगं एगंतमंते एडेइ ॥ १२७ ॥ तएणं से अयंपुले आजीवियउवासए जेणेव गोसाले मंखालपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता गोसालं मंखलिपुत्तं तिक्खुत्तो जाव पज्जुः ।
वासइ ॥ १२८ ॥ अयंपुलाति ! गोसाले मंखालिपुत्ते आजीवियउवासगं एवं क्यासी भावार्थविक स्थविरोंने मखलीपुत्र गोशाला को आम्र फल डाल देने के लिये संकेत किया. मखली पुत्र गोशा
ने आजीविक स्थविर का संकेत जानकर आघ्र फल नीचे डाल दिया ॥ १२७॥ अब अयंपुल आजीविक उपासक मेखली पुष गोशाला की पास आया और उन को तीन वार आवर्त यावत् पर्युशसना करने लगा । १२८ ॥ अब मेखली पुत्र मोशाला अयंपुल को ऐसा बोला कि अहो अयंपुल ! पूर्व रात्रि
48 पंचांगविवाह पन्जति (भग