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________________ शब्दार्थ यावत गा गात्रों की कमींचन करता हवा पा० देखकर ल लजित विविलिन शरमवाला स० शनैः प० पीछा गया ॥ ११९ ॥ त० तब ते. वे आ. आजीविक थे० स्थविर अ० अयंपुल आ०* आजीविक उ० उपासक को ल० लज्जित जा. यावत् प० पीछा जाता हवा पा०देखकर एक ऐसा व017 इबोला ए० आव अ. अयंपुल इ० यहां ॥ १२० ॥ तक तब से वह आ. आजीविक थे० स्थविरों से ए. ऐसा वु. बोलाया हुवा जे० जहां आ० आजीबिक थे० स्थविर ते० वहां उ०. गया आ० आजीविक थे० स्थविर को वं० वंदना ण० नमस्कार कर ण. नन्न आसन से जायावत् प० पर्युपासना की ॥१२॥ लाजिए विलित्तए विडु सणियं २ पच्चोसकह ॥ ११९॥ तएणं ते आजीविय थेरा अयंपुलं आजीविय उवासगंलजियं जाव पच्चासकमाणं पासइ, पासइत्ता एवं वयासी एहि ताव अयंपुला इतो॥१२०॥तएणं से अयंपुले आजीविय उवासए आजीविय थेरेहिं है एवं वुत्तेसमाणे जेणेव आजीवियथेरा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता आजीविय थेरे वंदइत्ता णमंसइ, वंदइ णमंसइत्ता पच्चासण्णे जाव पज्जुवासति ॥ १२ ॥ भावार्थ हलज्जित हुवा, मन में असमंजस भाव हुवा और शनैः पीछा गया ॥ ११९ ॥ अब इस तरह अयंपुल आजीविक उपासक को लजित यावत् पीछा जाता हुवा देखकर आजीविक स्थविर बोले कि अहो । अयंपुल! यहां आब ॥ १२० ॥ आजीबिक स्थविर के बोलाने से अयंपुल आजीविक उपासक -1 स्थविरों की पास गया और उन को वंदना नमस्कार कर नम्न आसन से यावत्- पर्युपासना करने लगा.. 8- पंचमाङ्ग विवाह पण्णात्त ( भगवती पन्नरहवा शतक : 600
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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