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शब्दार्थ
42 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
पान के च० चार भेद त• वैसे गो० गोपृष्टक ह. हस्तमर्दित आ० आतपतप्त सि. शिलामभ्रष्ट : अपान च. चार प्रकार के था. स्थाल पानक त. त्वचा पानक सिं० शंबली पानक मु० सुद्ध पानक अब किं. क्या था० स्थाल पानक जे. जो दा० पानी का थाल दा० पानी का कुलडा दा० पानी का कुंभ दा. पानी का कलश सी० शीतल उ० पानी से भीगां हुवा मृत्तिका का भाजन ह. हस्त से ५० ___ माद्दयए, आतवतत्तए, सिलापब्भट्टत्तए सेतं पाणए॥ से किं तं अपाणए ? २ चउविहे
पण्णत्ते, तंजहा थालपाणए, तयापाणए, सिंवालपाणए, सुद्धापाणए, ॥ सेकिंतं थालपाणए ? २ जेणं दाथालगंवा,दावारगंवा, दाकुंभगवा, दाकलसंवा, सीयलगंवा उल्लाग
हत्थेहिं परामुसइ नय पाणियं पिवइ, से तंथालपाणए॥से किं तं तयापाणए ? जेणं अंबंवा । चार पान और चार अपान की प्ररूपणा की है. पान क्या है ? पान के चार भेद कहे हैं ? गी की पीठ से पड़ा हुवा पानी २ हाथ में मसला हुवा पानी ३ सूर्य के ताप से तपाया हुवा पानी और ४ शीला पर्वत पहाड वगैरह स्थान से पडा हुवा पानी. अपान के चार भेद १ थालीका पानी २ वृक्ष की साल का पानी ३ तुरा प्रमुख फली का पानी और ४ हस्तस्पर्श का पानी. इन में थालीका पानी क्या है ? पानी से भीजा हुवा थाल, पानी से भीजा हुवा कुलडा, पानी से भीजा कुंभ और पानी से भीजा कलश. उक्त पानी से भीजा हुवा मृत्तिका पात्र विशेष को हस्त से स्पर्श करना परंतु पानी पीना नहीं. यह थाली
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रमादजी.
भावार्थ