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________________ - ग. गर्भ में ग० रहाहवा ने नरक में उ० उत्पन्न होरे गो० गौतम अ० कितनेक उ० उत्पन्न होवे अ० कितनेक नोर नहीं उ० उत्पन्न होवे से वह के० कैसे गो० गौतम स० संजीपंचेन्द्रिय स. सर्व प. प. प्तिसे प० पर्याप्त वी. वीर्यलब्धिसे वे० वैक्रेयलब्धिमे प. शत्रुसैन्य आ० आया हुवा सो सुनकर नि० अवधारकर प० प्रदेश नि. बहार निकाले वे वैक्रेय समुद्घात से स० ग्रहण करे स० ग्रहण करके सत्र 80 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी ___ भंते गब्भगए समाणे नेरइएसु उवजेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववजेजा, अत्थे__ गइए नो उववज्जेजा। सेकेणटेणं ? गोयमा ! सेणं सण्णी पंचिंदिए सव्वाहि पजत्तीएहिं ___ पजत्तए वीरियलबीए, वेउन्धिय लडीए पराणियं आगयं सोचा निसम्म पएसे नि. * प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ नष्ट होजाते हैं. ॥ १८ ॥ अब गर्भस्थ जीव कदाचित् गर्भ में ही काल अवस्था को प्राप्त होवे तो कहां पर उत्पन्न होता है उस संबंधी प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! गर्भस्थ जीव आयुष्य पूर्ण होने से कालकर क्या नरक में उत्पन्न होते हैं ! अहो गौतम ! कितनेक जीव नरक में उत्पन्न होते हैं और कितनेक नरक में नहीं उत्पन्न होते हैं. अहो भगवन् ! किस तरह से गर्भस्थ जीव नारकी में उत्पन्न होते हैं। अहो गौतम : कोई संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव राणी की कुक्षि में उत्पन्न होवे अर्थात् गजपुत्र होवे. वहां उन को पूर्ण पर्याय बांधकर पर्याप्ता हुवे पीछे पूर्व करणी के प्रभाव से वीर्य लब्धि व वैकेय लब्धि की प्राप्ति होवे.
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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