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शब्दार्थ
१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी।
महावीर की अं० पास से को० कोष्टक चे उद्यान में से प० नीकलकर जे० जहां सा० श्रावस्ती च * नगरी जे. जहां हा० हालाहला कुं० कुंभकारी की कुं० कुंभकार की आ• दुकान ते वहां. उ०. आकर हा. हालाहला कुं० कुंभकारि से कुं० कुंभकार शाला में अ० आम्र फल ह० हस्तगत म० मद्यपान पिपीताजा
बी२०८८ अ. वारंवार गा• गाता हुवा अ० वारंवार ण नृत्य करता हुवा अ० वारंवार हा. हालाहला कुं. कुंभकारी को अं० अंजलिकर्म क-करता सी०शीतल म. मृत्तिका पानी आकुंभार के भाजन में रहा हुवा पानी से गा० गात्रों को प० सींचता हुवा वि० विचरने लगा ॥ ११.४ ॥ अ० आर्य स० श्रमण भ० भगवंत
णिक्खमइ, पडिणिक्खमइत्ता जेणेव सावत्थी णयरी जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता हालाहलाहिं कुंभकारीहिं कुंभकाराव
सिं अंबकूणगहत्थगए मजपाणगं पियमाणे, अभिक्खणं गायमाणे, अभिक्खणं णच्चमाणे, अभिक्खणं हालाहलाए कुंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे सीतलएणं
मट्टियापाणएणं आयंचणिउदएणं गाताई परिसिंचमाणे विहरइ ॥ ११४ ॥ अजोस्वामी की पास से कोष्टक उद्यान में से नीकलकर श्रावस्ती नगरी में हालाहला कुंभकारिणी की कुंभकार
ला में आया. वहां पर हालाहला कुंभकारीणी की साथ हस्त में आम्र फल सहित मद्यपान करता हुवा, वारंवार गाता हुवा, वारंवार नृत्य करता हुवा, वारंवार हालाहला कुंभकारी को अंजली कर्म करता हुवा
जाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ