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शब्दार्थ)
सूत्र
भावार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 400
गोशाला मं० मंखलीपुत्र को ध० प० प्रतिसारणा दो ध० धार्मिक प० से प० प्रश्न से वा० व्याकरण से तब से वे स ० श्रमण णि० निर्ग्रन्थ स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर / * मेखलीपुत्र ते० वहां उ० आकर गो० पडिचोएह, धम्मि २ धम्मिया
तेजवाला तं० इसलिये छं० इच्छानुसार अ० आर्य तु० तुम गो० धार्मिक प० चोयणा से प० चोयणा करो ५० प्रतिसारणा से प्रत्युपकार से प० प्रत्युपकार करो ध० धार्मिक अ० अर्थ से हे० हेतु का० कारन से प० प्रश्न वा० उत्तर क० करो ।। ११० ।। त (स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर से ए० ऐसा वु० कहोये हुवे को वं० वंदना ण० नमस्कार कर जे० जहां गो० गोशाला मं० तुब्भं गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाएं पडिसारणाए पडि सारेह धम्मि २, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेह, धम्मिं २ अट्ठेहिय हेऊहिय पसिणेहिय वागरणेहिय कारणेहिय णिप्पटुपसिणवागरणं करेह ॥ ११० ॥ तरणं से समणा णिग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदइ णमंसइत्ता जेणेव गोसाले तुम मंखली पुत्र गोशाला की साथ धर्म की चोयणा, प्रतिचोयणा करो और धर्म के बचन से प्रत्युपकार { करो. अर्थ, प्रश्न, हेतु उत्तर व प्रत्युत्तर से प्रश्नोत्तर देने में असमर्थ करो ॥ ११०॥ तब उन श्रमण निर्ग्रथोंने श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी के उक्त वचन श्रवण कर श्रमण भगवंत श्री महाबीर स्वामी को वंदना
4444 पनरहवा शतक 49
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