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________________ शब्दार्थ विवाह पणति (भगवती) सूत्र 488+ +8+ पंचमाङ्ग स. शरीर को अ० जलाता अ० प्रवेश किया ॥१०६॥ त. तब से वह गो. गोशाला मै० मखली. पुत्र स० स्वतः के ते• तेज से अ० पराभव पाया हुवा स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर को ए. ऐसे बम्बोला तु०तुम आ०आयुष्मन् का०काश्यप म मेरे त तप तेज से अ०पराभव पाया हुवा अ० अंदर छ०१। छमास में पि.पित्तज्वर प. परिगत स० शरीर वाला दा० चलनयुक्त छ, छमस्थ में का० काल क०* करेंगे ॥ १०७॥ त• तब सश्रमण भ० भगवंत म. महावीर गो० गोशाला में० मेखलीपुत्र को ए. 109 अंतो २ अणुप्पवितु ॥३०६॥ तएणं से गोसाले मंखलिपुत्ते सएणं तेएणं अणाइटे समाणे समणं भगवं महावीरं एवं वयासी तुमणं आउसो कासवा! ममं तवेणं तेएणं अणाइट्टे समाणे अंतो कण्हं मासाणं पित्तजरपरिगय सरीरे दाहवक्कतिए छउमत्थे चेव कालं करिस्सइ ॥१.७॥तएणं समणेभगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी णो खलु अहं शरीर को जलाता हुवा अंदर प्रवेश किया ॥ १०६ ॥ अब स्वतः के तेज से परामव पाया हुवा मखली गोशाला श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी को ऐसा बोला कि अहो आयुष्मन् काश्यप! मेरे तप तेज ॐ पराभव पाया हुवा पित्तज्वर के शरीरवाला व दाह युक्त छद्मस्थपना में ही छ मास की अंदर तू काल करेगा ॥ १०७ ॥ तब श्रमण भमवंत महावीर मंखली पुत्र गोशाला को ऐसा बोले कि अहो गोशाला! पन्नरहवा शतक भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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