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शब्दार्थ हुवां णि विशेष स्खलना पाता हुवा सा० वह त० वहां णो० नहीं क० जाता है पो० नहीं ५० विशेष 2जाता है ए. ऐसे गो० गोशाला का त० तपतेज स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर के व० षध के
लिये स० शरीर में से णि नीकला हुवा से० वह त• वहां णो० नहीं क० गया णो० नहीं प० विशेष गया अं० एक वार चि० अनेक वार क० करके आ० आवर्त प० प्रदक्षिणा क० करके उ. ऊर्ध्व
. आकाश में उ० गया ते वह त वहां प० हणाया हुवा प०पीछा आता गो गोशाला मं० मंखलीपुत्र के है, साणं तत्थ णोकमइणोपक्कमइ,एवामेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवतेए समणस्स भग
घओ महावीरस्स वहाए सरीरगं णिसिद्धेसमाणे, सेणं तत्थ णोकमइ णोपक्कमइ, अंचियंचियं करेइ, करेइत्ता आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेइत्ता उट्ठ वेहासं उप्पइ, ते से णं तओ
पडिहए पडिणियत्तमाणे तस्सेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुडहमाणे २, भावार्थ हुवा उसे पराभव करे नहीं बैसे ही श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी का वध के लिये नीकाला हुवा तेज
उन को अतिक्रमा नहीं, उन का पराभव कर सका नहीं, परंतु एक वक्त जावे पुनः पीछा आवे यों इधर उधर फीरता हुवा महावीर स्वामी की दक्षिण बाजु प्रदक्षिणा करता हुवा ऊंचे आकाश में गया, ऊंचे, आकाश में उछलकर वहां से हणाया हुवा, पुनः वहां से पीछा आता हुवा उस ही मेखली पुत्र गोशाला के है।
* अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
"कासक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी .