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________________ शब्दार्थ | सूत्र भावार्थ 488+ पंचमांगविवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 488+ अ० अनगार के त { है. तपतेज से ए० एक आ० महार कु० कूटाइतन भा० भस्म क० किया ॥ ९८ ॥ त० तब से वह गो० गोशाला मं० मेखली पुत्र स० सर्वानुभूति अ० अनगार को त० तप तेजसे ए० एक आ• आहतन कू० कूटाहतन भा० भस्म क० करके दो० दूसरी वक्त भी स० श्रमण भ० भगवतं म० महावीर को उ० ऊँचनीच आ० आक्रोश से आ० आक्रोश किया जा० यावत् सु० सुख ण०. नहीं ॥ ९९ ॥ ते० उस का काल ते उस स० समय में स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर का तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि करेइ ॥ ९८ ॥ तणं से गोसाले मंखलिपुत् सव्वानुभूतिं अणगारं तवेण तेएण एगाहच्चं कूडाहचं भासिरासि करेत्ता, दोच्चंपि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आउसणाहिं आउसइ जाव सुहं णत्थि ॥ ९९ ॥ तेणं काणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी कोसल जाणवए आसुरक्त यात्रत् क्रोधित बनकर सर्वानुभूति अनगार को अपने तप तेज से भस्म किया ॥ ९८ ॥ अब { सर्वानुभूति अनगार को अपने तप तेज से भस्म करके मंखली पुत्र गोशाला पुनः श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी को ऊंच नीच आक्रोशकारी वचनों से आक्रोशने लगा यावत् अब तुझे मेरे से सुख नहीं ॥ ९९ ॥ उस कॉल उस समय में श्री श्रमण भगवंत महावीर का कोशल देश का उत्पन्न प्रकृति भद्रिक **** पनरहवा शतक २०७३
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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