________________
शब्दा
प्राप्तकाल चे० उद्यान में रो० रोहे का स० शरीर वि० छोडकर भा० भारद्वाज के म. शरीर में अ. प्रवेश कर अ० अठारह वा० वर्ष व० शरीर परावर्त ५० परिहार १० किया त० उस में जे. जो छ० छठाई ५. शरीर परावर्त से वह वे० वैशालिक ण नगरी की ब० बाहिर के. कंडिकायन चे० उद्यान में भा० भारद्वाज का स० शरीर वि० छोडकर अ. अर्जुन गो० गोतमपुत्र के स० शरीर में अ० प्रवेश कर, स० सत्तरह वा० वर्ष छ० छठा ५० शरीर परावर्त प० किया त० उस में जे० जो स० सातवा ५०
परिहारं परिहरामि ॥ तत्थणं जेसे पंचमे पउट्ट परिहारे सेणं आलंभियाए णयरीए बहिया पत्तकालगंसि चेइयसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहामित्ता भारहाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसामित्ता अट्ठारस वासाइं पंचमं पउपरिहारं परिहरामि, तत्थणं जे से छटे पउदृ परिहारे सेणं वेसालीए णयरीए.. बहिया में कंडियायणंसि चेइयंसि भारदाइस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहामित्ता अज्जुणस्स ...
गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि अणुप्पविसामित्ता सत्तरसवासाइं छटुं : परावर्तन बणारसी नगरी के बाहिर काम महावन उद्यान में मंडित का शरीर छोडकर रोहे के शरीर में 13. प्रवेश किया. वहां गन्नीस वर्ष तक रहा. वहां से पांचवा शरीर परावर्तन आलंभिका नगरी के वाहिर * प्राप्त काल उद्यान में रोहे का शरीर छोडकर भारद्वाज के शरीर में प्रवेश किया. यहां पर मैं अगरह
4887 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र 88
*3486749 पत्ररहवा शतक 8948
भावार्थ