________________
शब्दार्थ |
सूत्र
भावार्थ
4 अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
० पाण० नगरी से ब० बाहिर अं० अंग मंदिर चे उद्यान में म० मल्लराम का स० शरीर वि ( छोडकर मं० मंडित के स० शरीर में अ० प्रवेश कर वी० वीस वा० वर्ष त० तीसरा पा० शरीर परावर्त प० किया त० उस में जे० जो च० चौथा पा० शरीर परावर्त से० वह व० बाणारसी ण० नगरी की ब० वाहिर का काम महावन चे० उद्यान में मं० मंडित का स० शरीर वि० छोड़कर रो० रोह के शरीर में अ० प्रवेश करके ए० गुन्नीस वा० वर्ष च० चौथा पा० शरीर परावर्त प० किया त० उस में जे० जो० पं० पांचवा प० शरीर परावर्त से वह आ० आलंभिका ण० नगरी की ब० बाहिर १० रामि ॥ तत्थणं जेसे तच्चे पउपरिहारे सेणं चंपाए णयरीए बहिया अंगमंदिरं मि
( स
चेइयंसि मल्लुरामस्त सरीरं विप्पजहामि २त्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुपावसामत्ता, वीसंवासाइं तच्चं पट्ट परिहारं परिहरामि ॥ तत्थणं जेसे चउत्थे पर परिहारे सेणं वाणरसीए यरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरं विष्पजहामि २त्ता रोहस्स सरीरं अणुष्पविसामि, अणुष्पवि सामित्ता एगूणवीसं वासाइं चउत्थं पह नगर की बाहिर चंद्रोत्तर उद्यान में एणकके शरीर में से नीकलकर मल्लराम के शरीर में प्रवेश किया. वहां इक्कीस वर्ष पर्यंत रहा. वहां से तीसरा शरीर परावर्तन चंपा नगरी के बाहिर अंग मंदिर उद्यान में मल्लराम का शरीर छोडकर मंडित के शरीर में प्रवेश किया, वहां वीस वर्ष पर्यंत रहा. वहां से चौथा शरीर
श्रमकाशक- राजा बहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
२०६४