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शब्दार्थ 4 से वह रा. राजगृह न० नगरी की ब० बाहिर मं० मंडकुक्षि चे० उद्यान में उ० उदायन का कुंडिका
यन का स० शरीर वि० छोडकर ए० एणेजक के स० शरीर में अ० प्रवेश किया अ० प्रवेश कर वा०300 बावीस वा० वर्ष प० प्रथम पा० परावर्त ५० परिहार ५० किया त० उस में जे० जो दो० दूपरा पा शरीर परिहार से वह उ० उद्दण्डपुर न० नगर की ब. बाहिर चं. चंद्रोत्तर ० उद्यान में ए. एणेक00 का स. शरीर वि० छोडकर म० मल्लराम का स० शरीर में अ० प्रवेश किया ए. इक्कीस वा० वर्ष दो० दसरा पा० शरीर परावर्त प० किया त. उस में जे. जो त० तीसरा पा० शरीर परावर्त से वह
कुच्छिसि चेइयांस उदायणस्स कंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहामित्ता, ३ एण्णेज्जगस्स सरीरगंअणुप्पविसामि, अणुप्पघिसामित्ताबावीसं वासाइं पढम पउटै परिहारं है परिहरामि । तत्थणं जेसे दाच्चे पउपरिहारे सेणं उद्दण्डपुरस्स णयरस्त बहिया में है चंदोयरणसि चेइयसि एणेजगस्स सरीरगं विप्पजहामि विप्पजहामित्ता मल्लरामस्स
सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसामित्ता एगवीसं वासाई दोच्चं पउदृ परिहारं परिहभावार्थ और ७ मंखलीपुत्र गोशाला का ॥ ९२ ॥ इन सात में से प्रथम पउट्ट परिहार ( शरीर परिहार ) रामगृही।
नगरी के बाहिर मंडकुच्छ उद्यान में उदायन कुंडिकायन का शरीर छोडकर एणक के शरीर में प्रवेश किया, वहां पर बावीस वर्ष पर्यंत रहा, यह प्रथम शरीर परावर्तन जानना. अब दूसरा परावर्तन उदंड
gth पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
पनरहवा शतक 4858488