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शब्दार्थ-4
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धनुष्य १० सहस्र उ०. उंडी ए. इस गं० गंगा की आ० लम्बाइ से स० सात गं० गंगा ए० एक म० महागंगा स. सात म. महागंगा सा० वह ए० एक सा० सादीन गंगा स० सात सा० सादीनगंगा साल वह ए. एक म० मृत्यु गंगा स० सात म• मृत्यु गंगा सा. वह ए. एक लो० लोहितगंगा सool सात लो० लोहितगंगा सा. वह ए. एक अ० अवंतिगंगा स० सात अ० अतिगंगा सा. वह ए०१ एक प० परमावती ए. ऐसे ही स० अनुक्रम से एक एक ग० गंगा स० लक्ष स० सतरह स० हजार छ०
माणेणं सत्तगंगाओ, एगा महागंगा सत्तमहागंगाओ सा एगा सादीणगंगा, सत्तसादीणगंगाओं सा एगा मच्चुगंगा, सत्तमच्चुगंमाओ सा एग लोहियगंगा, सत्त लोहियगंगाओ सा एगा अवंतीगंगा, सत्त अवंतीगंगाओ सा एगा परमावती, एबामेव सपु. .
व्वावरेणं एगंगंगासयसहस्सं सत्तरसयसहस्सा छच्चगुणपण्णं गंगासया भवंतीति भावार्थ जहां जाकर समस्त प्रकार से समाप्तपने को पाई है, वहां गंगा का मार्ग पांच सो योजन का लम्बा, अर्धा *
प्रयोजन का चौडा व पांचसो धनुष्य का फंडा है. ऐसी सात गंगा एकत्रित करने से एक महा गंगा
होती है, सात महा गंगा की एक सादीन गंगा, सात सादीन गंगा की एक मृत्यु गंगा, सात मृत्यु गंगा की एक लोहित गंगा, मात लोहितगंगा की एक अवन्ती गंगा, सात अवन्ती गंगा की एक परमावती
पंचांग विवाह पण्पत्ति ( भगवती ) सूत्र
पनरहवा शतक 43
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