________________
2008-
शब्दार्थ होकर का० काल के अवसर में का० काल कि० करके अ० किसी देवलोक में दे० देवतापने उ० ।
१० उत्पन्न हुआ अ० में उ• उदाइ णा० नामक कं• कुंडिकायनीक अ० अर्जुन गो• गौतम पुत्र का स० Vशरीर.वि छोड कर गो० गोशाला मं० मखली पुत्र का स० शरीर में अ० प्रवेश किया अ० प्रवेश करके,
इ. यह सा. सातवा पा०पउट्ट परिहार अ० अंगीकार किया ॥ ८८॥ जे. जो आ० आयष्मन का काश्यप अ. हमारे स० मत में के कोइ सि सीझे सि० सीझते हैं सि० सीझेगे स० सब ते० वे च० चौरासी म० महाकल्प स० लक्ष म० सात दी द्वीप स० सात सं० संजूथ स० सात स० संज्ञी ग० गर्भ स० सात
किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववण्णे, अहं गं उदाई णामं कुंडियायणीए अज्जुणस्स गोयमपुत्तरस सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहामित्ता गोसालस्स मंखलि पुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसामित्ता इमं सत्तम पउदृपरिहारं परिहरामि ॥८८॥ जेवियाई आउसो ! कासवा ! अम्हं समयसि केइ सिझिंसुवा सिझि
तिवा सिज्झिस्संतिवा सब्वे ते चउरासीइ महाकप्पसयसहस्साइं सत्तदिव्वे, सत्त संजूहे, " भावार्थापने उत्पन्न हुआ है. कुंडिकायन गोत्रीय उदाइ नामवाले मैंने अर्जन गौतमपुत्र का शरीर छोडकर
ॐ मखलीपुत्र गोशाला के शरीर में प्रवेश किया है. इस तरह प्रवेश करते मैंने सातवा शरीर धारन किया है। *॥८८ ॥ अहो आयुष्मन् काश्यप ! जो कोई गत काल में सिद्ध हुवे, वर्तमान में सीझते हैं और अनागत
- पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र -
380% पनरहवा शतक :