________________
-
शब्द
२०५०
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
ऐसा कुछ कहाया स० श्रमण भ० भगवंत म० महावीर को २० वंदनाकर ण. नमस्कार कर जे. जहां गो. गौतम श्रमण णि निर्ग्रन्थ ते. वहां उ० आकर गो. गौतम स० श्रमण णि निग्रन्थों को आ० आमंत्रणकर एक ऐसा व. वोला ए. ऐमा अ० आर्य छ० छठ खमण के पा. पारणे में स०१ श्रमण भ० भगवंत म० महावीर अ० आज्ञा होते सा. श्रावस्ती ण नगरी में उ० ऊंचणी० नीच वैसे स० सब जा• यावत् णा• ज्ञात पुत्र ए. ऐसा अ० अर्थ प० कहते हैं तं० इमलिये मा० मत अ.
समणेणं भगवया महावीरेणं एवं कुत्ते समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, जेणेव गोयमादि समणा णिग्गंथा तणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता, गोयमादि समणे णिग्गंथे आमंतेइ आमतेइत्ता, एवं बयासी एवं खलु अजो ! छटुक्खमण पारणगसि समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए णयरीए उच्चणीय तंचेव सव्वं जाव . णायपुत्तस्स. एयमद्र परिकहेहि तं माणं अज्जो ! तुभं केइ गोसालं मंखालपुन्तं धम्मियाए पडिचायणाए : पडिचोयओ भगवंतने आनंद श्रमण निग्रंथ को ऐमा कहा तब वे श्रमण भगवंत महावीर स्वामी को वंदना नमस्कार कर गौतमादि श्रमण निग्रंथ की पास गये और कहा कि अहो आर्यो! श्री श्रयण भगवंत महावीर स्वामीको आज्ञा से छठ के पारणे के दिन श्रावस्ती नगरी में ऊंच नीच व मध्यम कुल की गाचरी करते वगैरह सब पूर्वोक्त यावत् श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामीने ऐसा कहा है कि मंखली पुत्र गाशालान श्रमण
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसह
भावार्थ