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________________ शब्दार्थ | सूत्र भावार्थ 48 पंचांग विवाह पण्णति ( भगवती ) सूत्र चारों तरफ स० देखाया हुवा खि० शीघ्र भं० भंड म० पात्र उ० उपकरण आ० लेकर ए० एक आ० [ महार कू० कूट का आ० प्रहार भा० भस्म क० किया हुवा हो० था ॥ ७७ ॥ त० उस में जे० जो से० वह व० वणिक ते ० उन ब० वणिकों का हि० हित इच्छने वाला जा० यावत् हि० हित सु० सुख (नि० कल्याण का० इच्छने वाला से० वह अ० अनुकंपा सहित दे० देवता से स० भंड सहित म० पात्र उ० उपकरण आ० लेकर णिः स्वतःके ण० नगर में सा० पहुंचाया ॥ ७८ ॥ ए० ऐसे ही आ० आनंद त० तेरा ध० धर्माचार्य ध० धर्मोपदेशक स० श्रमण णा० ज्ञातपुत्रने उ० उदार प० पर्याय आ० प्राप्त सप्पेणं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वओ समंता समभिलोयासमाणा खिप्पामेव भंडमत्तोवरण मायाए एगाहचं कूडाहचं भासिरासीकयायावि होत्था ॥ ७७ ॥ तत्थणं जे से बणिए तेसिं बणियाणं हियकम्मए जाव हियसुहणिस्सेस कामए सेणं अणुकंपि - याए देवताए सभंडमत्तोवगरण मायाए णियगं णयरं साहिए ॥ ७८ ॥ एवामेव आणंदा ! तववि धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं णायपुत्तेणं उराले परियाए सब वणिक अपने भडोपकरण सहित कूटाकार समान भस्मीभूत होगये || ७७ || अब उन में से जो अन्य वणिक हित, सुख, पथ्य यावत् कल्याण का कामी था उन की अनुकंपा करके देवताने भंडोपकरण} { सहित उन को अपने गांव पहुंचा दिया ॥ ७८ ॥ अहो आनंद ! वैसे ही तेरे धर्माचार्य धर्मोपदेशक श्रमण 40 पनरहवा शतक 484881 २०४१
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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