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शब्दार्थ आहार आर आहारको गो गौतम मा: पाता का औधिर पि पिनाका मः वार्य न: उमर..
Gre दोना में मिलाहना क मलिन कि किल्वीपम्प : प्रथम आः पादार मा. आहारकरे ।
जी जीव भ. भगवन् गः गर्भ में ग• गयावा कि क्या आ. पाहा आ. आहारको गा० गीतम नं: जो मा० माता ना नानाप्रकार २० रस वि-विक्रति आ. आहारकर नः उस का ए. एकदा दश
ओर ओज आ• आहारकर ।। जी जीव का भं. भगाल ग. गर्भ य ग उत्पन्न हवा है उ है वकममाणे तपढमयाए कमाहाग्माहार ? गोयमा ! माउआय पिउ नवं तं तदभय
संसिटुं कलुसं किब्धिसं, तप्पटमयाए आहारमाहारइ ॥ १२ ॥ जीवणं भंते ! गब्भगए समाणे किं आहारमाहारइ ? गोयमा ! जं से माया नाणाविहाओ रसविगई?
आहारेइ तदेगदेसेणय ओय माहारेइ ॥ १३ ॥ जीवस्सणं भंते ! गम्भगयम्म है. ॥ ११ ॥ शरीर आहार से होता है इसलिये आहार का प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! गर्भ में उत्पन्न होता जीव पहिलाहि क्या आहार करता है ! अहो गौतम ! माता का ऋतुकाल संबंधी रुधिर ३ पिना का वीर्य यह दोनों परसर मिलने से किल्विप रूप बने हुवे पुद्गलों का आहार जीव प्रथम करता है । अहा भगवर : गर्भ में रहा हुवा जीव किन का आहार करना हे ! अहो गौतम ? गर्भवती स्त्री दुग्ध वृता-T दिक का जो आहार करती है और उस का जो रस होता है उस में से एक देश ( कुच्छ थोडा विभाग)
पंचमाङ्ग विवाह पण्णति (भगवती) मृत्र -
पहिला शना का सातवा उदशा g>
भावार्थ