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शब्द
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पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मृत्र 40820
से तं. उस तितिलकी सींग को ख० तोडकर क. हथेली में स० सात तील ५० नीकाले ॥५२॥ त तब तक उस गो० गोशाला को ते. उन स. सात तिल ग. गीनते अ० ऐसा अ० चितवन जा. यावत स० उत्पन्न हुवा ए० एसे ख० खलु स. सर्व जीव ५० परिवर्तन १० परिहार प. परिहरते हैं। ॥३०॥ ए. यह गो० गोशाला मं० मखलिपुत्र का १० परिवर्तन ॥६१ ॥ ए. यह गो० गौतम गो०y गोशाला मं० मखलिपुत्र का म० मेरी अं० पास से आ० आत्मा से अ. अपक्रमण ५० प्ररूपा ॥ ६२ ॥ त० तब से वह गो० गोशाला मं० भंखलिपुत्र ए० एक म. नख सहित कु. उडिद पिं० पिण्ड से __ लंसि सत्ततिले पप्फोडेइ ॥ ५९ ॥ तएणं तस्स गोसालस्स ते सत्ततिले गणेमाणस्स
अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु सव्वजीवावि पउट्ट परिहारं परिहरंति ॥६०॥ एसणं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स पउद्दे,॥६१॥ एसणं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ममं अंतियाओ आयाओ अवक्कमणे पण्णत्ते ॥ ६२ ॥ तएणं से गोसाले मंखलिपुत्ते एगाए सणयाए कुम्मासपिडियाए एगेणय वियडासएणं और उस की फली तोडकर सातों तिल अलग किये ॥ ५९ ॥ इस तरह सात तिल गिनते हुवे गोशाला को ऐप्ता अध्यवसाय हुवा कि सब जीव मरकर उस ही योनि में उत्पन्न होते हैं ॥ ६० ॥ अहो . गौतम ! मखली पुत्र गौशाला का यह परिवर्तनवाद जानना ॥ ६१ ॥ अहो गौतम ! यही मखली पुत्र गोशाला का मेरी पास से दूर होने का कहा ॥ ६२ ॥ अब मंखली पुत्र गोशाला मुष्टि प्रमाण उडीद के
पन्नरहवा शतक
भावार्थ है
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