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शब्दार्थ बोला से• वह ग० जाना ए• यह भ० भगवन् ॥ ५२ ॥ त० तब अ० मैं गो० गौतम गो० गोशालाई 4340 मखलिपुत्र को ए. ऐसा व. बोला तु तुप गो० गोशाला वे० वैश्यायन बा० बालतपस्वी को पा०
देखकर म. मेरी अं० पास से स. धीमे धीमे ५० पीछा जाकर जे. जहां वे वैश्यायन धा० बालतपस्वी ते. तहां उ० जाकर वे० वैश्यायन बा० बालतपस्वी को ए ऐसा व० बोले किं० क्या भ० तुम मु० मुनि मु० यति उ. अथवा जू० यूका से शय्यान्तर तक तब से वह वे. वैश्यायन बा० बालतपस्वी त. तुमारा ए. इस अर्थ णो नहीं आ० आदराकैया णो नहीं प०अच्छा जाता तु• शांत सं० रहे त०
भगवं ! गयगयमेयं भगवं ! ॥ ५२ ॥ तएणं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं
एवं वयासी-तुमंणं गोसाला! वेसियायण बालतवास्सि पासइ, पासइत्ता ममं अंतियाओ . सणियं २ पच्चोसकइ जेणेव बेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छइ उवा
गच्छइत्ता वेसियायणे वालतवस्सि एवं वयासी-किं भवं मुणी मुणीए उादहु जूया है
सेजायरए ॥ तएणं से वेसियायणे बालतवस्सी तब एयमटुं णो आढाइ णो परिभावाथे
मेखली पुत्र गोशाला मुझे ऐसा बोला कि अहो भगवन् ! यह यूकाशैय्यांतर आप को ऐसा क्यों कहता है कि मैंने जाना. अहो भगवन् ! मैंने जाना ॥ ५२ ॥ अहो गौतम ! उस समय मैं मंखली पुत्र गोशाला, को ऐसा बोला कि अहो गोशाला ! वैश्यायन बालतपस्वी को देखकर तुम मेरी पास से शनैः नीकलकर
888 पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 888*
पत्ररहवा शतक
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