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शब्दार्थ
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4882 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
मैखलि पुत्र त उस तिः तिलवृक्ष को पा० देखता है पा देखकर. म० मुझे वै० वंदनकर ण.. नमस्कार} of कर ए. ऐसा व० बोला ए. यह भ० भगवन् ति तिलवृक्ष कि० क्या णि निपजेगा जो० नहीं णि.. निपजेगा ए. ये स० सात तिः तिल के पु० पुष्प जीव उ० चवकर क० कहां ग० जामे क० कहा। उ० उत्पन्न होंगे त० तब अ० मैं गो गौतम गो० गोशाला मं• मंखलि पुत्र को ए. ऐसा व० बोला गो० गोशाला ए०. यह तिः तिलवृक्ष णि० उत्पन्न होगा ए• ये स० सात ति० तिल पु. पुष्प जीव माणे २ चिटुइ ॥४४॥ तएणं से गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथंभं पासइ, पासइत्ता ममं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसइत्ता एवं वयासी-एसणं भंते ! तिलथंभए किं णिप्पजिस्सइ णो णिप्पजिस्सइ, एएय सत्ततिलपुप्फजीवा उदाइत्ता २ कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ? तएणं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं क्यासी
गोसाला ! एसणं तिलयंभए णिप्पजिस्सइ णो निप्पज्जिस्सइ एएय सत्त तिल पुप्फलाने उस तीलस्तंभको देख कर मुझे वंदना नमस्कार करता हुवा ऐसा बोला कि अहो भगवन् ! यह तील-3 X स्तंभ निपजेगा या नहीं निपजेगा ? और ये सात तिलपुष्प के जीवों यहां से कालकर के कहां जावेंगे कहां उत्पन्न होंगे ! अहो गौलम ! उस समय मैंने ऐसा कहा कि अहो गोशाला ! वह तिला
88387 पनरहवा शतक
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भावार्थ