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शब्दार्थ साथ अॅमीला ॥ ३१ ॥ त• तब से वह गो० गोशाला म० मखलि पुत्र ह० हृष्ट तु तुष्ट
१०म० मुझे ति तीन वक्त आ० आदान प० प्रदक्षिणा जा. यावत् ण नमस्कार कर ए. ऐसा क. बोलाई Vतु. तुम भं. भगवन् म मेरे १० धर्माचार्य अ० मैं तु. तुमारा अं. अंतेवासी ॥४०।। त० तब अ०१ । Fमें गो० गोशाला में० मेखलि पुत्र का ए. यह अर्थ ५० अच्छाजानूं ॥ ४१ ॥ त० तब अ०. मैं गोतम गो०*
गोशाला मं• मंखलि पुत्र की म साथ ५० मनोज्ञ भू भूमिमें छ० छवर्ष ला० लाभ अ० अलाभ सु०१० सुख दु. दुःव स• सत्कार अ. सत्कार रहित अ० अनुभवता अ. अनित्य जा. जागरणा वाला वि०
बहिया पणियभूमीए मए. सद्धिं अभिसमण्णागए ॥ ३९ ॥ तएणं से गोसाले । मंखलिपुत्ते हट्ठतुढे ममं तिखुत्तो आयाहिणं पयाहिणं जाव णमंसित्ता एवं क्यासी
तुम्भेणं भंते ! ममं धम्मायरिया अहं णं लुब्भं अतवासी, ॥ ४० ॥ तएणं अहं ... गोयमा ! गोसालरस मंखलिपुत्तस्स एयमटुं पडिसुणमि ॥ ४१ ॥ तएणं अहं .
गोयमा ! गोसालेणं मखलिपुत्तेणं सद्धिं पणियभूमिए छवासाइ लाभं अलाभं सुहं भावार्थ मुझे देखकर मेखली पुत्र गौशाला हृष्ट हुवा और मुझे वंदना नमस्कार कर ऐसा बोला कि अहो भगवन् !
आप मेरे धर्माचार्य हैं और मैं आप का धर्म का शिष्य हूं. ॥ ४० ॥ अहो गौतम ! उस समय मैंने मखली 10 पुत्र गोशाला के वचन सुने अर्थातू उस के वचन मान्य किये ॥ ४२ ॥ फीर मैं गौशाला की साथ मनोझ
48 पंचांगविवाह पाणत्ति (भगवती ) सूत्र 488
3800-4880 पबरहवी शतक 43805488
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