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शब्दार्थ
अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
गौतम ए० ऐसा आ० कहता हूं जा. यावत् प० प्ररूपता १० इस गो• गोशाला में मखलि. पुत्र का मं० मंखलि णा नाम का मं० भिक्षुक पि० पिता हो० था त० उस मं० मंखलि भं• भिक्षुक 4 को भ० भद्रा भा० भार्या हो० थी सु. सुकुमार जा. यावत् प० प्रतिरूपा ॥ १२ ॥ त० तब सा०. वहन
भद्रा भा० भार्या अ० एकदा गुरु गर्भवती हो० थी ॥ १३ ॥ ते. उस काल-ते. उस समय में स०१ सरवण स. सनिवेश हो० था रि• ऋद्धिवंत जा० यावत् स. देवलोक समान पा० प्रासादिक ॥ १४ ॥
अहं पुण गोयमा ! एव माइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु एयस्स गोसा
लस्स मंखलि पुत्तरस मंखालणामं मैखे पिता होत्था, तस्सणं मंखालमखस्स भट्टा _णामं भारिया होत्था सुकुमाल जाव पडिरूवा ॥ १२ ॥ तएणं सा भद्दा भारिया
अण्णयाकयाइं गुम्विणीयावि होत्था, ॥ १३ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सरवणे णामं साण्णवेसे होत्था, रिहत्थमिय जाव साणिभप्पगासे पासादीए ॥ १४ ॥ का मंखलि. नाम का मंच पिता था. उस में बलि नामक मंख को भद्रा भार्या थी वह सुकुमार यावत् प्रति रूपाथी ॥ १२ ॥ एकदा वह भद्रा भार्या गर्भवती हुई ॥ १३ ॥ उस काल उस समय में सरवण नाम - का सन्निवेश था वह ऋद्धि से परिपूर्ण यावत् देवलोक समान देखने योग्य था. ॥ १४ ।। उस सरवण सनिवेश
काष्ट के पटियेपर अनेक चित्रों चित्रकर लोकों को बताकर उस से अपनी आजीविका करे उसे मंख कहते हैं. १
प्रकाशकर जाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
भावार्थ
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