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________________ जब्दार्थ 48 पंचभाङ्ग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र <2.984 विचरता है से. वह क० कैसे ए. यह म० माने ॥ ९॥ ते. उस काल ते. उस समय में सा० स्वामी/41 स. पधारे जा. यानत् प० परिषदा प० पीछी गई ॥ १० ॥ ते. उस काल में उ० उस समय में स० श्रमण भ० भगवन्तम महावीर का ज. ज्येष्ठ अं० अंतेवासी इं० इंद्र भति अ० अनगार गोल गौतम गोल गोत्र से छ. छठछठ से ए० एसे ज. जैसे वि. दूसरा शतक में णिनिग्रंथ उ. उद्देशा जायावत् अ० फीरते ब० बहुत मनुष्यों के स० शब्द णि सुने व० बहुत मनुष्य अ० अन्योन्य बिहरइ; ते कहमेयं मण्णे एवं ? ॥ ९॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोहै सढे जाव परिसा पडिगया ॥ १० ॥ तेणं कालणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूईणाम अणगारे गोयम गोत्तेण जाव छटुं छट्टेणं एवं जहा बिइयसए णियठदसए जाव अडमाणे बहुजणसदं णिसामइ बहुजणो अण्णमगोशाला जिन प्रलापी यावत् प्रकाश करता हुवा विचरता है ॥ ९ ॥ उस काल उस समय में स्वामी पधारे यावत् परिषदा धर्मोपदेश मुनकर पीछी गइ ॥ १० ॥ उस काल उस समय में श्री श्रमण भगवंत महावीर के ज्येष्ठ अंतेवासी गौतम गोत्रीय इन्द्रभूति अनगार छठ २ की तपस्या का पारणा करते वगैरह जैसे दूस शतक के निग्रंथ उद्देशे में कहा वैसे फीरते हुवे बहुत मनुष्यों से ऐसा सुना कि बहुत मनुष्यों परस्पर ऐसा कहते हैं यावत् प्ररूपते हैं कि मेखली पुत्र गोशाला जिन प्रलापी पावत् प्रकाश करता हुवा, विचरता । पनरहवा शक 488488
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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