SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2006
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ 4/कुंभार की दुकान में आ० आजीविक सं०परिवार से सं० घेराया हुवा आ० आजीवक मत से अ० आला को भा० भावता वि० विचरता है ॥ ४॥ त• तब त° उस गो० गोशाला मं० मंखली पुत्र को अ०१३ एकदा छ० छ दि० दिशाचर पा पास आये त० वह न० जैसे सा० शाण क. कणंद क. कर्णिकार अ. अच्छिद्र अ० अग्नि वैशायन अ०अर्जुन गो० गोमायु पुत्र ॥५॥ तक तब ते. वे छ० छ दि० दिशाचरई १९७६ वुडे अजीविय समएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ४ ॥ तएणं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णयाकयाई इमे छदिसाचरा पाउन्भावित्था, तंजहा- साणे कणंदे कणियारे, अच्छिदे अग्गिवेसायणे ; अजुणे गोमायुपुत्ते ॥ ५ ॥ तएणं ते छदि. भावार्थ कुंभकारिणी की दुकान में आजीविक संघ से परवरा हुवा स्वतः को भावता हुवा विचरता था ॥४॥ एकदा छ दिशाचर पार्श्वस्थ बनकर गोशाला की पास आये. जिन के नाम. १ शाण २ कर्षद | कर्णिकार ४ अच्छिद्र ५ अप्रिवेशायन और ६ अर्जुन ॥५॥ उोंने १ दीव्य, २ उत्पात ३ अंतरिक्ष ४ भोम ५ अंग ६ स्वर ७ लक्षण और ८ व्यंजन यो आठ प्रकार के निमित्त और गीतमार्ग व नृत्यमार्गकी १ उक्त छ दिशाचर महावीर स्वामी के शिष्य थे ऐसा टीकाकार कहते हैं और चूर्णिकार पार्श्वनाथ स्वामी के 17 संतानीये थे वैसा कहते हैं, 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमान श्री अमोलक ऋषिजी 21 nmmmmmmmmmmmmmmmmmwww कासक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy